रांची : “झारखंड की एडिशनल एडवोकेट जनरल बनकर मैं काफी अच्छा महसूस कर रही हूं, गर्व महसूस हो रहा है. गौरवान्वित हूं कि सरकार ने मुझपर विश्वास किया और मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. मेरी कोशिश यही होगी कि मैं अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करूं. उक्त बातें दर्शना पोद्दार मिश्रा ने कही, जिन्हें आज हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड की पहली महिला एडिशनल एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त किया है”.
हेमंत सोरेन सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी कर आज चार एडिशनल एडवोकेट जनरल की नियुक्ति की गयी है, जिनमें से दर्शना भी एक हैं. दर्शना 2000 बैच की अधिवक्ता हैं. इन्होंने रांची से लॉ में ग्रेजुएट किया उसके बाद उन्होंने बंगलौर के National Law School of India University से मास्टर्स की डिग्री ली.
दर्शना शादी के बाद इंग्लैंड चली गयीं थीं जहां उन्होंने सॉलिसिटर की परीक्षा पास की और पांच वर्षों तक वहां काम किया. फिर वापस रांची आ गयीं और हाईकोर्ट ज्वाइन कर लिया. दर्शना पोद्दार ने बताया कि मेरा जन्म रांची में हुआ है, मैं पूरी तरह से झारखंडी हूं और अपनी जमीन से लगाव रखती हूं इसलिए विदेश जाने के बाद भी हमने वापस आने का निर्णय किया.
दर्शना पोद्दार मिश्रा ने बताया कि उनकी रुचि संवैधानिक, कॉरपोरेट, टैक्स और बिजनेस से जुड़े मामलों में अधिक है. उन्होंने कहा कि एक महिला के लिए लॉ के क्षेत्र में चुनौतियां तो हैं, लेकिन मैं एक ऐसे परिवार से थी जो कानून से जुड़ा है. मेरे पिता झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर लॉयर हैं. इनका मानना है कि हमारे देश में न्याय मिलने में थोड़ी देरी तो होती है, लेकिन अब जिस प्रकार फास्टट्रैक कोर्ट का गठन हो रहा है और बहुत सारी चीजें तकनीक के सहारे हो जा रही हैं, संभव है कि अब देश में न्याय लोगों को जल्दी मिल जाये.