दिल्ली : लॉकडाउन-3 में ई-कॉमर्स कंपनियों को रेड जोन में गैर जरूरी सामान की डिलिवरी करने की इजाजत नहीं दी गई थी. उन्हें सिर्फ ऑरेंज और ग्रीन जोन में गैर-जरूरी सामान बेचने की इजाजत थी. कोरोना संकट के बीच देशभर में 18 मई से लॉकडाउन के चौथे चरण की शुरुआत हो गई है. इसी के साथ केंद्र सरकार ने अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को रेड जोन में भी गैर-जरूरी सामान की डिलिवरी करने की अनुमति दे दी है. कंटेनमेंट जोन को छोड़कर रेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन के लोग कुछ गैर-जरूरी सामान की होम डिलिवरी पा सकेंगे. हालांकि कंपनियों को अभी राज्य सरकारों के स्पष्ट निर्देश का इंतजार है.
खास बात ये है कि दिल्ली या दूसरे रेड जोन वाले शहर के लोग अब भी कुछ सामान ऑनलाइन नहीं खरीद सकते हैं. आइए आपको बताते हैं लॉकडाउन-4 में ई-कॉमर्स वेबसाइट से क्या सामान ऑर्डर कर सकते हैं.
ऑनलाइन क्या-क्या खरीद सकते हैं
- टीवी
- एसी
- फ्रीज
- मोबाइल
- जूतें
- वॉशिंग मशीन
- माइक्रोवेब
- किचन का सामान
ऑनलाइन क्या-क्या नहीं खरीद सकते हैं
- कपड़े
- फर्नीचर
- बाइक/स्कूटर
- कैमरा
- लैपटॉप
- कूलर
- पंखा
- कंप्यूटर पार्ट्स
- म्यूजिक सिस्टम
- किताबें
- फिटनेस प्रोडक्ट्स
- ऑफिस स्टेशनरी
- बेबी प्रोडक्ट्स
- ब्यूटी प्रोडक्ट्स
- लाइट्स
- घर की सजावट का सामान
- पेड़-पौधे
एडवांस में ऑर्डर बुक करने की सुविधा
फर्नीचर, लैपटॉप, कैमरा, किताबें जैसे प्रोडक्ट की अभी डिलिवरी नहीं हो रही है. लेकिन ये सभी सामान ग्राहक ई-कॉमर्स साइट से बुक सकते हैं. इन सभी सामान की डिलिवरी होगी, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद. अमेजन की साइट पर इन सामान का ऑर्डर करते समय एक मैसेज लिखकर आ रहा है. इसमें लिखा है, “सिर्फ प्रीपेड ऑर्डर की सुविधा है. सामान्य से ज्यादा डिलिवरी टाइम लग सकता है.” लेकिन कुछ सामान को ऑर्डर करते समय ये मैसेज नहीं दिख रहा है.
कंपनियों को अभी राज्य सरकारों के स्पष्ट निर्देश का इंतजार
लॉकडाउन-4 में ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रतिबंध वाली लिस्ट में नहीं रखा गया है. सिर्फ कंटेनमेंट जोन में ही ई-कॉमर्स कंपनियों पर प्रतिबंध है. लेकिन कंपनियां अभी दिल्ली जैसे रेड जोन शहर में ऑर्डर डिलिवरी नहीं कर रही हैं. इन्हें अभी राज्य सरकारों के स्पष्ट निर्देश का इंतजार है. केंद्र सरकार ने ये फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है. यही नहीं बल्कि लॉकडाउन-4 के दौरान रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन निर्धारित करने का फैसला भी राज्यों पर छोड़ दिया है.