झारखंड में बढ़ी कोरोना की मारक क्षमता, वायरस का नेचर भी बदला

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झारखंड में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ साथ वायरस की आक्रमकता भी बढ़ती जा रही है। पहले जहां 90-95 प्रतिशत मरीज बिना लक्षण के होते थे वहीं अब करीब 25 फीसदी से अधिक मरीजों में लक्षण दिखने लगे हैं। किसी में कम तो किसी में ज्यादा। सबसे बड़ी बात यह है कि मरीजों में न सिर्फ सांस की परेशानी हो रही है बल्कि अब तो कुछ मरीजों के फेफड़े में भी संक्रमण दिखने लगा है। रिम्स में फिलहाल कोरोना के 110 मरीज भर्ती हैं, जिसमें से  32-35 मरीजों में लक्षण उभर चुके हैं। कुछ में तो भर्ती होने के पहले से ही लक्षण हैं।

रिम्स कोविड 19 के नोडल अफसर डॉ ब्रजेश मिश्रा कहते हैं कि वायरस की मारक क्षमता बढ़ने के कारण मरीजों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।  राज्य में अब तक कोरोना पॉजिटिव 50 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसमें 27 की मौत रिम्स में हुई है। यही नहीं 34 की मौत केवल जुलाई में हुई है।

नेचर बदल रहा है वायरस : डॉ मिश्रा कहते हैं कि राज्य में मध्य जून तक वायरस की आक्रामकता कम थी पर बीते 20-25 दिनों में इसका रूप बदल गया है। इसकी वजह से मरीजों में अलग अलग लक्षणों का पता चलने लगा है।  कोरोना वायरस मरीजों की सांसों पर ही नहीं, बल्कि भूख पर भी असर डाल रहा है। लोगों की संवेदनाएं प्रभावित हो रही हैं। गंध और स्वाद की क्षमता को भी प्रभावित हो रही है। इससे अन्य बीमारियां भी हो रही हैं।

बढ़ती जा रही मौत की संख्या : रिम्स के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ जेके मित्रा कहते हैं कि कोरोना की आक्रामता बढ़ने की वजह से ही हाल के दिनों में मौत का आंकड़ा बढ़ा है। मौत के पीछे कोरोना परोक्ष कारण है। लेकिन प्रत्यक्ष कारण और भी है। जिसमें सबसे पहला है उम्र, उसके बाद डायबिटीज, हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर व ओबेसिटी भी महत्वपूर्ण कारण है। उनका कहना है कि इन बीमारियों की वजह से पहले से ही शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। जिसमें कोरोना वायरस और असरकारी हो जाता है। उसकी वजह से अन्य बीमारियां और गंभीर रूप ले लेती हैं जो मौत का कारण बनती हैं।

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