राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के अंतर्गत उत्कृष्ट काम करनेवाले कार्यक्रम समन्वयकों, कार्यक्रम पदाधिकारियों, स्वयंसेवकों को राष्ट्रपति पुरस्कृत करेंगे।
यह पुरस्कार एनएसएस के स्थापना दिवस पर 24 सितंबर को दिया जाएगा। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। देशभर से चयनित 30 स्वयंसेवकों को ही यह पुरस्कार मिलेगा।
एनएसएस के राज्य पदाधिकारी डॉ ब्रजेश कुमार ने इस संबंध में बताया कि पुरस्कार के लिए पहला मापदंड यह है कि स्वयंसेवकों, कार्यक्रम पदाधिकारियों और कार्यक्रम समन्वयकों को न्यूनतम तीन वर्षों का कार्यानुभव होना चाहिए। स्वयंसेवकों को पिछले दो वर्षों में न्यूनतम 240 घंटे (120 घंटे प्रति वर्ष) का कार्यानुभव होना चाहिए। सात दिवसीय एक विशेष शिविर में शामिल होना चाहिए।
विश्वविद्यालय व कॉलेज स्तर पर चयन
कॉलेज स्तर पर चयन प्रचार्य की अध्यक्षता गठित चयन समिति करेगी। चयनित उत्कृष्ट स्वयंसेवक की कार्य विवरणी विश्वविद्यालय स्तरीय चयन समिति को भेजी जाएगी। विवि स्तर पर कुलपति की अध्यक्षता में चयन समिति उत्कृष्ट स्वयंसेवक को चुनेगी। राज्य स्तरीय चयन समिति में अध्यक्ष के अलावा राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक, उच्च शिक्षा के निदेशक, राज्य स्तरीय प्रमुख हस्तियां सदस्य व राज्य एनएसएस पदाधिकारी होंगे।
समिति में युवा मामले एवं खेलकूद विभाग की सचिव अध्यक्ष, युवा मामले के संयुक्त सचिव, यूजीसी के सचिव या कोई प्रतिनिधि, अखिल भारतीय विवि संघ के निदेशक या उनके प्रतिनिधि, दो राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख हस्तियां सदस्य व राष्ट्रीय निदेशक, एनएसएस संयोजक होंगे।
तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे पुरस्कार
पुरस्कार तीन श्रेणियों- विवि कार्यक्रम समन्वयक, कार्यक्रम पदाधिकारी, स्वयंसेवक, को दिए जाएंगे। विवि कार्यक्रम समन्वयक के दो पुरस्कार हैं। प्रथम स्थान को तीन लाख व द्वितीय स्थान प्राप्त करनेवाले को दो लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी। कार्यक्रम पदाधिकारी, में 20 पुरस्कार हैं। प्रत्येक को 70,000 रुपए व संबंधित कॉलेज इकाई को एक लाख रुपए मिलेंगे।
राष्ट्रपति भवन में मिलेगा सम्मान
30 उत्कृष्ट स्वयंसेवकों को पुरस्कृत किया जाएगा। प्रत्येक को 50,000 रुपए की पुरस्कार राशि मिलेगी। साथ ही, ट्रॉफी, प्रमाण पत्र व सिल्वर मेडल राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रपति भवन में आयेाजित समारोह में दिया जाएगा। पिछले वर्ष बीआईटी मेसरा को उत्कृष्ट स्वयंसेवक का पुरस्कार मिला था। रांची विश्वविद्यालय, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के हिस्से अब तक यह उपलब्धि नहीं आई है।