झारखंड में काेराेना चरम पर है। बुधवार काे भी रिकाॅर्ड 1060 मरीज मिले। 13 लाेगाें की जान भी गई। इसके बावजूद राज्य के 10 हजार से ज्यादा अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मचारियों द्वारा गुरुवार को भी हड़ताल जारी रखी गई। झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ का कहना है कि राज्य सरकार हड़ताल खत्म करने के लिए काेई पहल नहीं कर रही है। इधर, इन हड़ताली कर्मचारियों की वजह से कोविड सैंपल जांच में भी कमी आ गई है। रोजना जहां साढ़े 8 हजार कोविड टेस्ट होते थे, वहीं केवल बुधवार को 5 हजार टेस्ट हुए।
हड़ताली कर्मचारियों ने 750 लैब टेक्नीशियन भी
काेराेना काल में सैंपल लेने से रिपाेर्टिंग तक की जिम्मेदारी अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी ही संभाल रहे हैं। हड़ताल पर जाने वालाें में 750 लैब टेक्नीशियन भी हैं। ऐसे में अब काेराेना की जांच प्रभावित हाे रही है। हड़ताल में एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन और पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन कुलकर्णी ने आपदा के समय स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल को अनुचित करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल वापस नहीं ली तो सरकार उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा सकती है।
अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मचारियों की मांग
- अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियाें काे स्थाई करें। स्थाई हाेने तक समान काम समान वेतन लागू करें।
- ईपीएफ की कटाैती हाे और आउटसाेर्सिंग कर्मियाें के बकाए का भुगतान हाे।
- काेविड-19 में लगे कर्मियों काे बिहार, हरियाणा और ओडिशा जैसा अतिरिक्त प्राेत्साहन राशि मिले।
- अनुबंध कर्मियाें की माैत पर वह सारे लाभ मिले, जाे स्थाई कर्मचारी काे मिलते हैं।
हड़ताल काे माना जा सकता है आपराधिक मामला
आपदा प्रबंधन विभाग के पूर्व सलाहकार कर्नल संजय श्रीवास्तव ने कहा कि काेविड-19 काे केंद्र सरकार ने आपदा घाेषित कर रखा है। आपदा की इस घड़ी में हड़ताल पर जाना सही नहीं है। आपदा प्रबंधन एक्ट-2005 की धारा 51 से 60 तक में जाे प्रावधान हैं, उसके अनुसार इस हड़ताल को आपराधिक मामला माना जा सकता है।