झारखंड लौटने वाले मजदूरों का होगा बॉर्डर पर मेडिकल टेस्ट

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लॉकडाउन हटने के बाद झारखंड लौटने वाले हर व्यक्ति का राज्य की सीमाओं पर कैंप लगाकर रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट कराया जाएगा। बीस मिनट में रिपोर्ट आ जाएगी। निगेटिव रिपोर्ट वाले को घर के क्वॉरेंटाइन और पॉजीटिव रिपोर्ट वाले लोगों को सरकार के क्वॉरेंटाइन में रखकर कोरोना जांच सुनिश्चित कराई जाएगी।

स्वास्थ्य जांच अनिवार्य करने पर सहमति दूसरे राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए गुरुवार को वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक में बनी। कोविड-19 के संक्रमण को प्रभावी रूप से रोकने और लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से अनुपालन कराने के लिए बनी मंत्रिमंडल उपसमिति की प्रोजेक्ट भवन में हुई इस बैठक में राज्य के नौ आईएएस अधिकारी मौजूद रहे।

उप समिति के वरिष्ठ सदस्य रामेश्वर उरांव ने कहा कि सरकार ने पंचायत भवन, स्कूल भवन, सरकारी भवन एवं अन्य जगहों पर क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है। दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को भोजन पहुंचाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है। उपसमिति की बैठक में मंत्री बन्ना गुप्ता, चंपई सोरेन और सत्यानंद भोक्ता उपस्थित रहे। साथ ही साथ कई विभागों के प्रधान सचिव भी मौजूद रहे।

सरकार भी देगी 2000 रुपये की आर्थिक मदद
डॉ. उरांव ने बताया कि बिहार और ओड़िशा समेत कई राज्यों ने बाहर में फंसे प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। झारखंड सरकार भी डीबीटी के माध्यम से ऐसे लोगों को अधिकतम दो हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। यह एक बार दिया जाएगा। मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श के बाद इस संबंध में जल्द ही निर्णय ले लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कैबिनेट ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को दो हजार और राज्य में बेरोजगार हुए जरूरतमंदों को एक हजार रुपये विधायक के माध्यम से देने का फैसला लिया है। विधायकों के लिए अधिकम खर्च सीमा 25 लाख रुपये रखी गई है। इस कारण इससे सभी फंसे मजदूरों तक आर्थिक मदद नहीं पहुंच पाएगी। राज्य के सबसे अधिक मजदूर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, हैदराबाद में फंसे हुए हैं।

लौटने वाले मजदूरों को मनरेगा और पौधा रोपण में मिलेगा काम 
मंत्री उरांव ने कहा कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद आठ लाख से अधिक श्रमिक दूसरे राज्यों से झारखंड लौटेंगे। ऐसे मजदूरों के लिए राज्य में उनकी आजीविका सुनिश्चित करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है। सरकार ऐसे लोगों को रोजगार का अवसर देने की कोशिश कर रही है। अकुशल कामगारों को मनरेगा में काम दिया जाएगा। वापसी करने वाले मजदूरों के कौशल का रिकॉर्ड रखा जाएगा। उनकी कुशलता के आधार पर उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। सरकार इस बार बड़े स्तर पर पौधारोपण कराएगी।

मुखिया और पंचायत सेविका की ली जाएगी मदद
बैठक में यह भी निष्कर्ष निकला कि सरकार के पास अब तक उन लोगों का आंकड़ा है, जिन्होंने फंसे होने की सूचना दी है। ऐसे करीब आठ लाख लोग सरकार के रिकॉर्ड में मौजूद हैं। सरकार के पास अभी तक उन लोगों का विवरण नहीं है, जिन्होंने सरकार की ओर से जारी कॉल सेंटर नंबर पर संपर्क नहीं किया है। ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए मुखिया और पंचायत सेविका की मदद ली जाएगी। ताकि सही संख्या के आधार पर सरकार अपना रोडमैप तैयार कर सके।

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